imprints of time in black n white
कुछ लफ्ज़ हैंपिघले हुए से ;आँख की कोर पेअटके हुए
मीचता हूँ, मसलता हूँहारता हूँहर बार !और लफ्ज़ चिपके रहते हैं
सोचा इनमे कलम डुबाकरकाग़ज़ पर जड़ दूँपर डरता हूँकलम की नोक की चुभन से
हाथ बढाता हूँरुक जाता हूँहारता हूँहर बार !