imprints of time in black n white
थिएटर की सीट पे हम दोनों बैठे थेऔर बीच में बस इक armrest की दूरी थी
मैं इस पार से तुम्हे देखता रहा जी भरदो-इक बार तुम्हे छूने की कोशिश भी की
तुमने हँस के armrest उठा दिया थाबोली "बड़े बुद्धू हो तुम भी "
आज लगता है सच ही कहा था तुमने